[REQ_ERR: 401] [KTrafficClient] Something is wrong. Enable debug mode to see the reason. बदायूं| परिवार नियोजन के अस्थाई साधन त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन और साप्ताहिक गोली छाया की सुविधा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी प्रारंभ हो गई है । घर के नजदीक बने सब सेंटर जो कि अब आयुष्मान भारत योजना के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में परिवर्तित हो गये हैं । यहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) […] The post हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर अंतरा व छाया की सेवा शुरू appeared first on Budaun Amar Prabhat. बदायूं| परिवार नियोजन के अस्थाई साधन त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन और साप्ताहिक गोली छाया की सुविधा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी प्रारंभ हो गई है । घर के नजदीक बने सब सेंटर जो कि अब आयुष्मान भारत योजना के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में परिवर्तित हो गये हैं । यहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) ओपीडी करने के साथ ही योग्य दंपत्तियों को परिवार नियोजन के अस्थाई साधन की सुविधा भी प्रदान कर रहे हैं | The post हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर अंतरा व छाया की सेवा शुरू appeared first on Budaun Amar Prabhat.
आलोक कुमार ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से गांव में यह संदेश भेजा जा चुका है। इस सुविधा का पता चलने के बाद योग्य दंपत्ति जो कि अस्थाई परिवार नियोजन अपनाना चाहते थे लेकिन कई बार दूरी होने के कारण सुविधा प्राप्त करने जा नहीं पा रहे थे यहां हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आ रहे है। अभी कई दंपत्तियों ने छाया को अपनाया है। साथ ही उन्होंने बताया कि जिले के समस्त हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं स्वास्थ्य उपकेन्द्र) कुल 26 को सक्रिय किया जाना प्रस्तावित है | इसमें से 18 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं स्वास्थ्य उपकेन्द्र) सक्रिय किये जा चुके हैं । जल्द ही अन्य हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में भी यह सुविधा प्रारंभ हो जायेगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. यशपाल सिंह ने जनपद के सभी चिकित्सा अधीक्षक/ प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को पत्र के माध्यम से जनपद की चयनित समस्त स्वास्थ्य इकाइयों पर नवीन गर्भनिरोधक अंतरा और छाया की सेवाएं प्रारम्भ करते हुए सम्बन्धित डाटा एच.एम.आई.एस पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं |
डा. प्रमोद कुमार अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/नोडल परिवार कल्याण ने बताया कि जनपद के 6 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को और 20 उपकेंद्रों को चयनित किया गया है | जिनमे से 6 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को और 14 उपकेंद्रों पर यह सेवाएं प्रारम्भ हो चुकी हैं |
क्या है अंतरा इंजेक्शन अंतरा एक गर्भनिरोधक इंजेक्शन है। जिसकी पहली डोज डाक्टर की देखरेख में महिला का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद ही लगाई जाती है | उसके बाद दूसरी डोज प्रशिक्षित स्टाफ नर्स या एनएनएम के द्वारा भी लगाई जा सकती है | जो महिलाओं को तीन माह के अंतर पर मासिक धर्म आने के सात दिन के अंदर बिना किसी जांच के दिया जाता है।
क्या है छाया गोली –
यह एक साप्ताहिक नॉन हार्मोनल गर्भनिरोधक गोली है। जो कि प्रसव या गर्भपात के तुरंत बाद प्रारंभ की जा सकती है। दोनों विधियां बच्चो में अंतर रखने के लिए सरल, सुलभ व सुरक्षित हैं ।
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]]>जिला कार्यक्रम अधिकारी आदिश कुमार मिश्रा ने बताया हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जाएगा, लेकिन इस बार कोविड-19 के कारण इसका स्वरूप थोड़ा बदल दिया गया है। इसे डिजिटल तरीके से मनाया जाएगा। तकनीक का प्रयोग करते हुए गतिविधियों को संचालित किया जाएगा। जनपद स्तर पर अधिक से अधिक वर्चुअल बैठकों का आयोजन किया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया पूर्व राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी के निधन के कारण कार्यक्रम की शुरुआत सात सितंबर से होगी। उन्होंने बताया पोषण माह का मुख्य उद्देश्य अतिकुपोषित (सेम) बच्चों को चिह्नित करना और उनकी सेहत के लिए परामर्श देना है।
उन्होंने बताया अभियान के दौरान शिक्षा विभाग के माध्यम से पोषण विषय पर ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। वर्ष 2022 तक कुपोषण की दर में छह और एनीमिया में नौ फीसद कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल, भोजन, लड़कियों की शिक्षा सहित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर लोगों में जन जागरूकता लानी है। साथ ज़िला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया जनपद में 6 माह से छह साल तक के करीब 252381 बच्चें जिनमें से चिन्हित कुछ बच्चे अति कुपोषित है। जिनका इलाज जिला अस्पताल के एनआरसी वार्ड में वर्तमान में कई बच्चे भर्ती हैं। जिनका कुपोषण उन्मूलन विधि से उपचार किया जा रहा है l
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]]>किसी भी ब्यक्ति के फोन करने पर न बताएं ओटीपी बदायूँ। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत लाभार्थियों को आ रही समस्याओं के निराकरण के लिए शासन स्तर से एक हेल्प लाइन नंबर जारी किया गया है। लाभार्थी योजना का लाभ पाने में यदि कोई दिक्कत महसूस कर रहे हों या इस योजना से संबंधित […]
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]]>किसी भी ब्यक्ति के फोन करने पर न बताएं ओटीपी
बदायूँ। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत लाभार्थियों को आ रही समस्याओं के निराकरण के लिए शासन स्तर से एक हेल्प लाइन नंबर जारी किया गया है। लाभार्थी योजना का लाभ पाने में यदि कोई दिक्कत महसूस कर रहे हों या इस योजना से संबंधित कोई जानकारी लेना चाहते हों तो हेल्प लाइन नंबर 7998799804 पर कॉल कर सकते हैं।
राज्य स्तर से हेल्प लाइन नंबर 7998799804 जारी किया गया है। इस हेल्प लाइन से लाभार्थी कॉल करके योजना के आवेदन संबंधी तथा भुगतान न होने पर आ रही समस्या का निराकरण प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने बताया इस नंबर पर कॉल करने पर और बताए गये निर्देश का पालन करने पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना प्रतिनिधि स्वयं लाभार्थी को फोन कर उनकी समस्या का निस्तारण करेंगे।
इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी अपने ग्राम की आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अथवा निकटतम प्राथमिक या सामुदायिक केंद्र पर जाकर नियमानुसार फार्म 01 ए, फार्म 01 बी और फार्म 01 सी भर सकते हैं। इसी कार्य को और अधिक आसान बनाने के लिये राज्य स्तर से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की हेल्प लाइन द्वारा 7998799804 जारी किया गया है इस नम्बर पर लाभार्थी कॉल करके आवेदन से सम्बंधित या भुगतान न होने की स्थिति में आयी समस्याओं की जानकारी एवं उनके निराकरण सम्बन्धित जानकारी ले सकेंगे। इस नम्बर पर कॉल करके बताए गए निर्देशों का पालन करने पर योजन के प्रतिनिधि लाभार्थी को कॉल करके उनकी समस्याओं का निराकरण करेगें। योजना से संबंधित कोई भी प्रतिनिधि लाभार्थी से ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) नहीं पूछता है और न ही संवेदनशील सूचनायें जैसे अकाउंट नंबर, सीवीवी पिन मांगता है। यदि कोई व्यक्ति लाभार्थी से इस तरह की जानकारी मांगता है। तो उसे यह जानकारी कतई न दें। इस तरह की जानकारी मांगने वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का प्रतिनिधि नहीं हो सकता है।
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]]>The post बाल स्वास्थ्य पोषण माह 13 अगस्त से appeared first on Budaun Amar Prabhat.
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]]>आज हम बात करते हैं कोरोना के मरीजों को होने वाली समस्याओं को लेकर बदायूं। एक व्यक्ति को जब कोरोना पॉजिटिव हो जाता है, तो वो आधा बीमार इस बात से हो जाता है कि अब वह 14 दिन तक किसी अपने से नही मिल पायेगा और न ही किसी से अपने दुख सुख की […]
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]]>आज हम बात करते हैं कोरोना के मरीजों को होने वाली समस्याओं को लेकर
बदायूं। एक व्यक्ति को जब कोरोना पॉजिटिव हो जाता है, तो वो आधा बीमार इस बात से हो जाता है कि अब वह 14 दिन तक किसी अपने से नही मिल पायेगा और न ही किसी से अपने दुख सुख की बातें नही कह पायेगा। घर परिवार सबसे दूर जो भी करेंगे नर्स, वार्ड बॉय, डॉक्टर। उसकी बात सुनने वाला कोई भी नहीं होगा।
आज काफी लोगों के मन में भय बैठा हुआ है कि कोरोना पॉजिटिव के बाद अगर किसी की मौत हो जाती है तो उसकी लाश को भी नहीं देखने देते हैं, अस्पताल के लोग खुद ही अंतिम संस्कार कर देते है, जबकि कुछ रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना से हुई मौत के बाद सावधानी रखी जाए तो डेडबॉडी से कोरोना नही फैलता है। लोगों के मन मे सबसे बड़ा डर है कि बड़े अस्पतालों में बहुत बड़ा खेल हो रहा है, कोरोना महामारी है तो बहुत खतरनाक, ये सब जानते हैं और WHO ने भी इस बीमारी की गंभीरता को बता दिया है।
लेकिन लोगों को डर भी जायज है कि कहीं उनके मरीज की मृत्युपरांत उसके शरीर से तो कोई छेड़छाड़ नहीं हो रही है, क्योंकि डेड बॉडी तो देखने को भी नहीं मिलेगी। पहले भी बहुत बार ऐसा होता आया है इसलिए परिजनों का डर भी बिल्कुल जायज है। इस मामले में सरकार पारदर्शिता क्यों नहीं रख पा रही है, इसका क्या कारण है। प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के नाम पर लाखों रुपये की लूट हो रही है। तो ऐसे में क्यों न सरकार को कोरोना वार्ड में कैमरे लगाकर मरीज और उसके परिवार को आपस में जोड़ दिया जाए और कैमरे को परिजनों के मोबाइल से जोड़ा दिया जाएं जिससे वो उनके संपर्क में रहे और परिजनों को भी पता रहेगा कि हमारे मरीज के साथ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, खाने के नाम पर क्या दिया जा रहा है, पीने को साफ पानी मिल रहा है या नही इलाज में कोई लापरवाही तो नहीं हो रही है। इसी प्रकार सरकार को यही व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में भी लागू करनी चाहिए जिससे लोगों को पारदर्शिता के साथ सरकार पर भरोसा भी जमेगा।
अभी तक मरीज व परिजनों को शिकायत है कि मरीज को खाने के नाम पर पानी की दाल और 4 सूखी रोटी, नाश्ता में काली चाय, एक समोसा, क्या सरकार के बजट में यही है। जब इस बारे में डॉक्टर से बात करो तो वो कहते हैं कि 80 रुपया आता है हम लोग क्या करें। दूसरी ओर सरकार कहती है कि कोरोना को लेकर बजट की कोई कमी नहीं है फिर ये गड़बड़ किस स्तर पर और कौन कर रहा है, या फिर शक्तिमान और गंगाधर है एक ही हैं। जहाँ एक ओर करोड़ों रूपये का खर्चा हो रहा हैं और व्यवस्थाओं का जनाजा निकल रहा है।
सरकार को वार्डों में कैमरे की इस जन आकांक्षी योजना को लागू करना चाहिए क्योंकि अभी जल्द में ऐसा नहीं लग रहा है कि कोरोना महामारी पर अभी कोई लगाम लग पाएगी इसके मरीज अभी आते ही रहेंगे। वरना ये हालात सुधर नही पाएंगे।
अभी तक के हालात इसलिए भी बहुत ज्यादा खराब हैं क्योंकि वार्ड बॉय से लेकर सभी लोग जानते हैं कि कोरोना वार्ड में सामान्य रूप से देखने कोई नहीं आने वाला है। जो कुछ करना है स्वयं करना है चाहे सही किया जाए या गलत।
अभी एक हफ्ता पहले ही मेडिकल कॉलेज में वार्ड बॉय, नर्स, डॉक्टर की लापरवाही से एक कोरोना महिला की जान जा चुकी है। अब जब सरकार ने इन लोगों को कोरोना योद्धा घोषित कर दिया है तो कार्रवाई की बात कौन करे, लेकिन सवाल सबके मन में है।
पूछता है बदायूँ आपकी आवाज को सरकार तक लेकर जायेगा। आपको बस इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाना है। सबको पता होना चाहिए कि सरकार हमारे लिए बेहतर कर सकती है बस हमें अपनी आवाज को उठाना है।
प्रशान्त गुप्ता की कलम से
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]]>हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज लखनऊ। राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में शनिवार रात कुत्तों ने मॉर्चुरी से एक महिला की डेडबॉडी खींचकर नोच डाली। अटेंडेंट ने हॉस्पिटल में हंगामा करने के बाद डॉक्टरों से लेकर पूरे स्टाफ पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। सूचना पाकर मौके पर पहुंची […]
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]]>हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज
लखनऊ। राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में शनिवार रात कुत्तों ने मॉर्चुरी से एक महिला की डेडबॉडी खींचकर नोच डाली। अटेंडेंट ने हॉस्पिटल में हंगामा करने के बाद डॉक्टरों से लेकर पूरे स्टाफ पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। सूचना पाकर मौके पर पहुंची विभूतिखंड थाने की पुलिस ने अटेंडेट की तहरीर पर मामले में हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज कर लिया। वहीं, हॉस्पिटल प्रशासन ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
राजधानी के चिनहट थाना क्षेत्र की रहने वाली पुष्पा तिवारी (40) को शनिवार को पेट दर्द होने पर लोहिया हॉस्पिटल में सुबह 9 बजे इमरजेंसी वॉर्ड में लाया गया था। डॉक्टर्स ने उसका ट्रीटमेंट किया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। शाम को 6 बजे डेथ हो गई।
डॉ. नाथ महिला का ट्रीटमेंट कर रहे थे। अटेंडेट दीपू के मुताबिक, पेशेंट की डेथ होने के बाद डॉक्टर ने कहा- डेडबॉडी पोस्टमॉर्टम के बाद ही मिलेगी। इसलिए रविवार सुबह आकर बॉडी ले जाना। इसके बाद घरवालों ने डेड बॉडी को खुद ही उठाकर हॉस्पिटल के मॉर्चरी के अंदर रखा। डीप फ्रीजर में डेड बॉडी को रखने के बाद वे लोग वहां से चले गए। दीपू ने बताया, रविवार सुबह जब वे डेड बॉडी लेने के लिए वहां पहुंचे, तो कमरे के बाहर खून के दाग देख डर गए। उन्होंने स्टाफ से कहकर दरवाजा खुलवाया, तो देखा कि डेड बॉडी पूरी तरह से डैमेज हो गई थी। चेहरा पूरी तरह से नोचा हुआ था। दोनों आंखें भी गायब थीं। कमरे में कुतों के पांव के निशान जगह-जगह नजर आ रहे थे। पूरे कमरे के अंदर तेज बदबू आ रही थी। डेड बॉडी से खून भी बह रहा था।
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]]>The post कैंसर दिवस पर मरीजों को दिए स्वास्थ्य के टिप्स appeared first on Budaun Amar Prabhat.
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]]>कोढ़ को ही कुष्ठ रोग कहा जाता जो कि एक जीवाणु रोग है। यह एक दीर्घकालिक रोग है जो कि माइकोबैक्टिरिअम लेप्राई और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं कि वजह से होती है। कुष्ठ रोग के रोगाणु कि खोज 1873 में हन्सेन ने की थी, इसलिए कुष्ठ रोग को हन्सेन रोग भी कहा जाता है। इस […]
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]]>कोढ़ को ही कुष्ठ रोग कहा जाता जो कि एक जीवाणु रोग है। यह एक दीर्घकालिक रोग है जो कि माइकोबैक्टिरिअम लेप्राई और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं कि वजह से होती है। कुष्ठ रोग के रोगाणु कि खोज 1873 में हन्सेन ने की थी, इसलिए कुष्ठ रोग को हन्सेन रोग भी कहा जाता है। इस रोग का जिक्र भारतीय ग्रंथों में किया गया है, भारतीय ग्रंथों के अनुसार 600 ईसा पूर्व इस रोग का उल्लेख किया गया है। यह रोग मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है। कुछ लोग कुष्ठ रोग को वंशागत या दैवीय प्रकोप मानते है, लेकिन यह रोग न तो वंशागत है न ही दैवीय प्रकोप है। बल्कि यह रोग जीवाणु द्वारा होता है। यह रोग भारत सहित सम्पूर्ण विश्व के पिछड़े हुए देशों के लिए एक ऐसी समस्या है जो कि लाखों लोगों को दिव्यांग बना देती है। लेकिन पश्चिमी देशों में इस रोग का प्रभाव न के बराबर है। भारत देश में भी इस रोग पर काफी नियंत्रण किया जा चुका है। जिन कुष्ठ रोगियों को समाज धिक्कारता है, उन कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों से हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी काफी स्नेह और सहानुभूति रखते थे। क्योंकि वो जानते थे कि इस रोग के क्या सामजिक आयाम हैं। इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अपने जीवन में कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की काफी सेवा की और कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए काफी प्रयास किये। कहा जाए तो हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के प्रयासों की वजह से ही भारत सहित कई देशों में अब कुष्ठ रोगियों को सामजिक बहिष्कार का सामना नहीं करना पड़ता। अब समाज का अधिकतर तबका समझ गया है कि कुष्ठ रोग कोई दैवीय आपदा नहीं बल्कि एक बीमारी है जो कि किसी को भी हो सकती है, और इसका इलाज संभव है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के प्रयासों की वजह से ही हर वर्ष 30 जनवरी उनकी पुण्यतिथि को कुष्ठ रोग निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कुष्ठ रोग के संकेत व लक्षण
त्वचा पर घाव होना कुष्ठ रोग के प्राथमिक बाह्य संकेत हैं। यदि इसका उपचार न किया जाए, तो कुष्ठरोग पूरे शरीर में फैल सकता है, जिससे शरीर की त्वचा, नसों, हाथ-पैरों और आंखों सहित शरीर के कई भागों में स्थायी क्षति हो सकती है। इस रोग से त्वचा के रंग और स्वरुप में परिवर्तन दिखाई देने लगता है। कुष्ठ रोग में त्वचा पर रंगहीन दाग हो जाते हैं जिन पर किसी भी चुभन का रोगी को कोई असर नहीं होता। इस रोग के कारण शरीर के कई भाग सुन्न भी हो जाते हैं।
कुष्ठ रोग के बारे में फैली हुई भ्रातियां
– कुछ लोगों मानते हैं कि है कि कुष्ठ रोग वंशानुगत होता है, लेकिन कुष्ठ रोग वंशानुगत नहीं है।
– कुछ लोगों का मानना है कि कुष्ठ रोग दैवीय प्रकोप, अनैतिक आचरण, अशुद्ध रक्त, पूर्व जन्म के पाप कर्मों आदि कारणों से होता है, बल्कि दैवीय प्रकोप, अनैतिक आचरण, अशुध्द रक्त, पूर्व जन्म के पापकर्मों से कुष्ठ रोग का होना केवल भ्रातियां हैं इनकी तरफ लोगों को ध्यान नहीं देना चाहिए।
– कुछ लोगों का विशवास है कि कुष्ठ रोग केवल स्पर्शमात्र से हो जाता है, लेकिन यह भी कुष्ठ रोग के बारे में बहुत बड़ी भ्रान्ति है।
– कुछ लोग मानते हैं कि कुष्ठ रोग अत्यंत संक्रमणशील है, लेकिन यह भी कुष्ठ रोग के बारे में फैला हुआ भ्रम है। बल्कि कुष्ठ रोग के ऊपर किये गए अनुसंधानों में पाया गया है कि 80 प्रतिशत लोगों में कुष्ठ रोग असंक्रामक होता है, शेष 20 प्रतिशत कुष्ठ पीड़ितों का इलाज सही समय से हो जाए तो कुष्ठ रोग कुछ ही दिनों में असंक्रामक हो जाता है।
– कुछ लोग समझते हैं कि कुष्ठ रोग लाइलाज है, लेकिन इस रोग के संबंध में लोगों में यह गलत धारणा है। आज कुष्ठ रोग का इलाज संभव है। यदि लक्षण दिखते ही कुष्ट रोग का उपचार शुरू कर दिया जाए तो इस रोग से मुक्त होना निश्चित है।
– कुछ लोग मानते हैं कि जिन परिवारों में कुष्ठ रोगी हैं, उस परिवार के बच्चों को कुष्ठ रोग होगा ही। लेकिन यह भी कुष्ठ रोग के बारे में फैली हुई सबसे बड़ी भ्रान्ति है, क्योंकि अनुसंधानों से सिध्द हो चुका है कि यह बीमारी वंशानुगत नहीं है, और इसके अधिकतर मामले असक्रांमक होते है।
कुष्ठ रोग का इलाज
आज आधुनिक चिकित्सा प्रणाली ने इतनी तरक्की करली है कि कुष्ठ रोग का इलाज कई वर्ष पूर्व ही संभव हो गया था। आज के समय में इस रोग की मल्टी ड्रग थेरेपी उपलव्ध है। अगर सही इलाज किया जाए तो रोगी निश्चित ही कुष्ठ रोग से मुक्त होकर एक सामान्य जिन्दगी जी सकता है। वर्तमान समय में कुष्ठ रोग का इलाज दो प्रकार से हो रहा है। पॉसी-बैसीलरी कुष्ठरोग (त्वचा पर 1-5 घाव का होना) का उपचार 6 माह तक राइफैम्पिसिन और डैप्सोन से किया जाता है। बल्कि मल्टी-बैसीलरी कुष्ठरोग (त्वचा पर 5 से ज्यादा घाव का होना) का उपचार 12 माह तक राइफैपिसिन, क्लॉफैजिमाइन और डैप्सोन से किया जाता है। सरकारी अस्पताल द्वारा रिहाइशी इलाकों में मौजूद स्वास्थ केंद्रों में कुष्ठ रोग का निशुल्क इलाज उपलब्ध है। भारत में राष्ट्रीय जालमा कुष्ठ एव अन्य माइकोबैक्टीरियल रोग सस्थान का कुष्ठ रोग के क्षेत्र में अहम् योगदान है।
कुष्ठ रोग की रोकथाम
– मल्टी ड्रग थेरेपी ने कुष्ठ रोग की रोकथाम के लिए अहम् भूमिका निभाई है, अगर रोगी का समय रहते पता लग जाए तो उसका पूरा इलाज कराना चाहिए और बीच में इलाज को छोड़ना नहीं चाहिए। अगर रोगियों का समय रहते इलाज होगा तो कुछ नाममात्र के संक्रामक मामलों में कुछ दिनों मई ही कमी आ जायेगी क्योंकि कुष्ठ रोग के संक्रामक रोगी का इलाज शुरू होते ही कुछ दिनों में उसकी संक्रामकता खत्म हो जाती है, वैसे कुष्ठ रोग के अधिकतर मामले असंक्रामक ही होते हैं।
– बीसीजी का टीका लगाने से भी कुष्ट रोग से सुरक्षा प्राप्त होती है।
– कुष्ठ रोग से जुडी हुई भ्रांतियों पर लोगों को ध्यान नहीं देना चाहिए। तथा मरीजों और लोगों को इसके कारणों के बारे में शिक्षित करना चाहिए।
कुष्ठ रोग निवारण दिवस पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा अपने जीवन काल में कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के किये गए प्रयासों से सीख लेकर प्रत्येक नागरिक को कुष्ठ रोग, उसके उपचार, देखभाल और उसके रोगियों के पुनर्वास के बारे में जागृति फैलाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। और आज सबसे ज्यादा जरूरत कुष्ठ रोग पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की है। भारत के प्रत्येक नागरिक को भारत को कुष्ठ रोग से मुक्त करने के लक्ष्य में सक्रिय रूप से अपनी भागीदारी निभानी चाहिए। जिससे कि जल्द से जल्द भारत को कुष्ठ रोग मुक्त किया जा सके।
लेखक
– ब्रह्मानंद राजपूत, दहतोरा, शास्त्रीपुरम, सिकन्दरा, आगरा
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