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डीएम ने की आईजीआरएस प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में बैठक

आईजीआरएस निस्तारण में जनपद को मिली 56वीं रैंक, डीएम ने दिए गम्भीरता पूर्वक कार्य करने के निर्देश

बदायूं। जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव ने कलेक्ट्रेट स्थित अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में गुरूवार को आईजीआरएस (एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली) प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में आहूत बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को प्रकरणों का गुणवत्तापरक व समयबद्ध निस्तारण करने के लिए कहा। उन्होंने आईजीआरएस प्रकरणों के निस्तारण में प्रदेश में जनपद की 56वीं रैंक होने पर अधिकारियों को गंभीरतापूर्वक कार्य करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि प्रकरणों के निस्तारण में शिकायतकर्ता की संतुष्टि भी आवश्यक है।
जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता जल निगम के बैठक में अनुपस्थित रहने, प्रकरणों का समय से निस्तारण न करने पर उनका वेतन रोकने के निर्देश दिए तथा 27 अगस्त तक उन्हें प्रकरणों का निस्तारण कर सूचित करने के लिए कहा। उन्होंने जनपद के 16 विभागों का शत प्रतिशत फीडबैक नेगेटिव होने पर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अधीनस्थों को प्रकरणों को निस्तारण के लिए अग्रसरित कर देना ही निस्तारण नहीं माना जाएगा। अधिकारी स्वयं प्रकरणों को देखें व उसका गुणवत्तापरक निस्तारण कराएं।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों से कहा कि प्रकरणों के निस्तारण के अंतिम दिन से तीन दिन पूर्व तक प्रत्येक दशा में प्रकरणों का गुणवत्तापरक निस्तारण सुनिश्चित कराएं अन्यथा ऐसा न होने की स्थिति में अधिकारी को स्वयं आकर स्पष्टीकरण देना होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय से संदर्भित प्रकरणों का गंभीरतापूर्वक निस्तारण करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अधिकारी जब किसी प्रकार का निस्तारण के लिए मौके पर जाते हैं तो उसका फोटो भी आवश्यक रूप से कराएं तथा निस्तारण आख्या में फोटो सहित अपलोड कराएं।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व वैभव शर्मा ने बताया कि आईजीआरएस प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में शासन स्तर से लिए गए फीडबैक में जनपद को 30 में से 16 नंबर प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि जनपद में जन शिकायतों, तहसील दिवस, आईजीआरएस प्रकरणों को मिलाकर लगभग 5000 शिकायतें प्रतिमाह आती है। उन्होंने बताया कि 10 दिन की सीमा के निस्तारण अवधि में करीब 1100 प्रकरण जनपद में लंबित हैं।
उन्होंने कहा कि नीतिगत मामलों, सूचना के अधिकार अधिनियम, किसी प्रकार की मांग, नौकरी दिलवाने तथा मा0 न्यायालय में विचाराधीन आदि ऐसे प्रकरण जिनका निस्तारण नहीं किया जा सकता है। ऐसे प्रकरणों के संबंध में आवेदक को स्वयं दूरभाष पर वार्ता कर अवश्य सूचित करें, तभी उसका निस्तारण माना जाएगा। उन्होंने कहा कि निस्तारण आख्या में अधिकारी अपने पदनाम के साथ-साथ अपना नाम भी अवश्य लिखें।
इस अवसर पर जिला वन अधिकारी प्रदीप कुमार वर्मा, उप जिलाधिकारी सदर सुखलाल प्रसाद वर्मा, उप जिलाधिकारी सहसवान सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।

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