विपत्ति में भी मनुष्य को कभी विचलित ना होना चाहिए : प्रश्रय आर्य

विपत्ति में भी मनुष्य को कभी विचलित ना होना चाहिए : प्रश्रय आर्य

बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव गुधनी में आर्य समाज के तत्वावधान में रविवार को साप्ताहिक सत्संग आयोजित किया गया। पंडित प्रश्रय आर्य जय ने यहां सबसे पहले यज्ञ संपन्न कराया। अथर्ववेद के तीन सूक्तों से यज्ञ कराते हुए उन्होंने कहा कि भगवान हम सबको अथर्व बनाना चाहता है, अथर्व का अर्थ होता है डॉवा डोल ना होना अर्थात जो मनुष्य सुख-दुख, हानि-लाभ, मान-अपमान में विचलित नहीं होता अर्थात किसी भी स्थिति में धर्म नहीं छोड़ता, सदाचार नहीं छोड़ता वही अथर्व कहलाता है। उन्होंने कहा कि इस संसार में कोई ऐसा नहीं है जिसके जीवन में दुख ना आया हो। भगवान राम, कृष्ण, महर्षि दयानंद, स्वामी विवेकानंद, भगवान बुद्ध, गुरु नानक जितने भी संत और महापुरुष हुए हैं उन सभी के जीवन में दुख आए कष्ट आए पर वह कभी विचलित नहीं हुए। यज्ञोपरांत आर्य संस्कार शाला के बच्चों ने भजन गाए। इस मौके पर मिथिलेश कुमारी, साहब सिंह, अंशुल कुमार, कौशकी रानी, तानिया आर्य, राकेश आर्य, नीरेश चंद्र आदि मौजूद रहे।

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