Breaking News

AI और कला: स्टूडियो घिबली की स्टाइल में बनी डिजिटल कला सोशल मीडिया पर कैसे छा रही है?

कला और तकनीक का मेल हमेशा से आकर्षक रहा है। जब भी नई तकनीक का आगमन होता है, कला जगत उसे अपनाने में संकोच नहीं करता। डिजिटल युग में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने चित्रकला और एनिमेशन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। आजकल सोशल मीडिया पर स्टूडियो घिबली की शैली में बनी AI-जनित डिजिटल कला काफी लोकप्रिय हो रही है। यह न केवल कलाकारों के लिए नए अवसर पैदा कर रही है, बल्कि दर्शकों को भी एक अनूठा अनुभव दे रही है। स्टूडियो घिबली, जो जापानी एनीमेशन की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम है, अपने अद्वितीय कला-शैली के लिए प्रसिद्ध है। इसके एनिमेशन में हाथ से बनी चित्रकारी, नरम रंगों का उपयोग, प्राकृतिक दृश्यों का अद्भुत संयोजन और जादुई यथार्थवाद का प्रभाव देखने को मिलता है। ‘स्पिरिटेड अवे’, ‘माय नेबर टोटोरो’, ‘प्रिंसेस मोनोनोके’ और ‘हाउल्स मूविंग कैसल’ जैसी फिल्मों ने पूरी दुनिया में दर्शकों के दिलों को छुआ है। जब AI का उपयोग इस शैली में कला बनाने के लिए किया जाता है, तो यह स्वाभाविक रूप से ध्यान आकर्षित करता है।
आजकल AI टूल्स, जैसे कि चैटजीपीटी और ग्रोक AI कलाकारों को स्टूडियो घिबली की शैली में चित्र बनाने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जैसे कि इंस्टाग्राम, ट्विटर, रेडिट और पिनटेरेस्ट, पर AI-जनित स्टूडियो घिबली-शैली की कला तेजी से लोकप्रिय हो रही है। कलाकार और AI-प्रेमी अपने बनाए चित्र साझा कर रहे हैं और इन्हें लाखों लोग पसंद और साझा कर रहे हैं। इस प्रवृत्ति ने डिजिटल कलाकारों के लिए नए दरवाजे खोले हैं। अब वे पारंपरिक तरीकों से परे जाकर AI की मदद से अपनी कला को एक नए स्तर पर ले जा सकते हैं। AI द्वारा बनाई गई घिबली-शैली की कला के प्रति लोगों का आकर्षण कई कारणों से है। सबसे पहले, यह शैली अपने सौंदर्यशास्त्र में सरल लेकिन गहरी भावनाओं को व्यक्त करने वाली होती है। घिबली की कला में एक तरह की गर्माहट और सादगी होती है, जो दर्शकों को वास्तविकता से जोड़ते हुए एक काल्पनिक दुनिया में ले जाती है। जब AI इसे पुनः उत्पन्न करता है, तो यह उसी संवेदनशीलता को पकड़ने की कोशिश करता है और कभी-कभी आश्चर्यजनक रूप से सटीक परिणाम देता है।
दूसरा बड़ा कारण है ‘नॉस्टैल्जिया’। स्टूडियो घिबली की फिल्में 80 और 90 के दशक में बड़ी हुई पीढ़ी के लिए एक खास महत्व रखती हैं। ये फिल्में एक जादुई संसार को प्रस्तुत करती हैं, जिसमें प्रकृति और मानवीय भावनाओं का खूबसूरत संगम होता है। जब AI-जनित कला इस शैली को पुनर्जीवित करती है, तो यह उन यादों को ताजा कर देती है, जो बचपन में इन फिल्मों को देखने से जुड़ी थीं। तीसरा कारण यह है कि AI-निर्मित कला पहुंच और प्रयोग के स्तर पर अधिक सुविधाजनक है। पहले, इस तरह की कला बनाने के लिए महीनों की मेहनत, ड्राइंग स्किल्स और एनिमेशन तकनीकों की आवश्यकता होती थी। लेकिन अब, AI टूल्स कुछ मिनटों में ऐसे चित्र बना सकते हैं, जो देखने में हाथ से बनाए गए लगते हैं। इससे नई पीढ़ी के कलाकारों को प्रोत्साहन मिला है और वे डिजिटल माध्यम में नए प्रयोग करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
हालांकि, इस प्रवृत्ति के आलोचक भी हैं। कई कलाकारों को यह चिंता है कि AI-जनित कला पारंपरिक कलाकारों के लिए खतरा बन सकती है। उनके अनुसार, जब कोई सॉफ़्टवेयर बिना किसी इंसानी प्रयास के बेहतरीन चित्र बना सकता है, तो यह उन कलाकारों के लिए कठिनाई पैदा कर सकता है, जिन्होंने सालों तक इस शैली में महारत हासिल करने के लिए अभ्यास किया है। इसके अलावा, कई बार AI-निर्मित चित्र घिबली स्टूडियो के मौजूदा काम से इतने मिलते-जुलते होते हैं कि यह बौद्धिक संपदा अधिकारों का प्रश्न उठाता है। क्या AI-जनित कला वास्तव में मौलिक है, या यह केवल मौजूदा कला-शैली की नकल है? कई कलाकार AI को एक सहयोगी के रूप में देख रहे हैं, न कि प्रतिस्पर्धा के रूप में। उनके अनुसार, यदि AI को सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह एक उपयोगी टूल साबित हो सकता है। यह कलाकारों को नए विचारों के साथ प्रयोग करने और अपनी कलात्मक सीमाओं को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ कलाकार AI-निर्मित चित्रों को आधार बनाकर अपनी खुद की पेंटिंग बनाते हैं, जिससे उनकी रचनात्मकता को और अधिक बढ़ावा मिलता है। भविष्य में, यह देखना दिलचस्प होगा कि AI और स्टूडियो घिबली-शैली की डिजिटल कला का यह ट्रेंड कैसे विकसित होता है। क्या AI-निर्मित कला केवल एक अस्थायी आकर्षण है, या यह डिजिटल कला की दुनिया में एक स्थायी स्थान बना लेगी? AI और कला का यह संगम यह दर्शाता है कि तकनीक केवल पारंपरिक तरीकों को चुनौती देने के लिए नहीं, बल्कि कला को और अधिक सुलभ और बहुआयामी बनाने के लिए भी है। स्टूडियो घिबली की शैली में बनी AI-जनित कला ने यह साबित कर दिया है कि जब तकनीक और कल्पना साथ मिलते हैं, तो वे एक नई और रोमांचक दुनिया रच सकते हैं।

संजय अग्रवाला
जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल

Spread the love

About budaunamarprabhat.com

Check Also

मारपीट करने एवं चार व्यक्तियों को हिरासत मे लिया

*थाना अलापुर क्षेत्रान्तर्गत ग्राम कुतरई के पास ट्रेक्टर निकलने को लेकर मुस्लिम पक्ष के व्यक्तियों …

error: Content is protected !!