मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फार्मेसी कॉलेज में फार्माकोग्नोसी के विभागाध्यक्ष डॉ. आशीष सिंघई की झोली में एक और पेटेंट आया है। इस भारतीय पेटेंट के अलावा डॉ. सिंघई के नाम दो जर्मन पेटेंट भी हैं। इस भारतीय पेटेंट से रुमेटॉयड आर्थराइटिस का हर्बल फार्मूलेशन से प्रभावी इलाज संभव हो सकेगा। इस शोध में उन्होंने भारतीय औषधीय पौधों की जैव-सक्रियता का अध्ययन कर एक प्रभावशाली हर्बल फार्मूलेशन विकसित किया, जो रुमेटॉयड आर्थराइटिस के प्रबंधन में उपयोगी सिद्ध होगा। इस अनुसंधान कार्य में डॉ. सिंघई के साथ डॉ. हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी, सागर के प्रो. उमेश पाटिल और प्रोफेसर डॉ. संजय जैन भी जुड़े हुए हैं।
फार्मेसी सेक्टर में यह नवाचार आयुर्वेदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है। रुमेटॉयड आर्थराइटिस जैसी जटिल बीमारी के लिए यह फार्मूलेशन सुरक्षित और किफायती समाधान देगा। डॉ. सिंघई बताते हैं, इस शोध में तीन हर्बल औषधियों की रुमेटॉयड आर्थराइटिस पर जैव-सक्रियता का गहन अध्ययन किया गया। रिसर्च में सक्रिय तत्वों को पहचानने के बाद फार्मूलेशन को अंतिम रुप दिया गया। इससे पूर्व डॉ. सिंघई को कैंसर और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर पर दो जर्मन पेटेंट भी मिल चुके हैं। डॉ. सिंघई की झोली में 19 बरस का सृमद्ध शैक्षणिक अनुभव है। अब तक 26 नेशनल और इंटरनेशनल शोधपत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। एक्सपर्ट्स के संग तीन किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं।
