आतंक के ख़िलाफ़ भारत की निर्णायक हुंकार — यही है नए भारत की वह कार्रवाई, जो बनी ऑपरेशन सिंदूर की गर्वित कहानी
आशुतोष शर्मा
ये नया भारत है — जो दुश्मन की हर नापाक हरकत का जवाब उसी की भाषा में देना जानता है। जो घर में घुसेगा भी, और मारेगा भी। आतंक के ख़िलाफ़ भारत की यह नई नीति स्पष्ट है: अब चुप्पी नहीं, कार्रवाई होगी। और इसी नीति का सशक्त उदाहरण बना — ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की नृशंस हत्या की गई। देश की भावनाएं आक्रोश से उबल रही थीं, और यह स्पष्ट था कि अब कुछ बड़ा होना तय है। भारत ने 15 दिन के भीतर अपने शहीदों का बदला लेने के लिए रणनीति तैयार की और 7 मई की रात 1:44 बजे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के अंतर्गत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमला किया।
इन हमलों में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर, अहमदपुर और मुरीदके जैसे इलाकों को लक्षित किया गया, वहीं पीओके के बाघ, मुज़फ्फराबाद और कोटली में भी आतंक के अड्डों को ध्वस्त किया गया। खास बात यह रही कि भारत ने केवल आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया, किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को नुकसान नहीं पहुंचाया। यह भारत की परिपक्वता और रणनीतिक सोच को दर्शाता है — जवाबी हमला, मगर सीमित और स्पष्ट उद्देश्य के साथ।
भारतीय सेना के अनुसार, यह हमला पूर्व नियोजित, केंद्रित और सीमित था। सभी सैनिक सुरक्षित लौटे और सभी लक्षित आतंकी ठिकाने नष्ट किए गए। सेना ने स्पष्ट किया कि यह कदम केवल सुरक्षा सुनिश्चित करने और आतंक को जड़ से मिटाने के उद्देश्य से उठाया गया, न कि किसी देश के खिलाफ युद्ध की घोषणा के तौर पर।
ऑपरेशन के बाद सेना ने एक बयान में कहा — “हम गुस्से में नहीं, रक्षा में हमला करते हैं। हम गर्व से हमला करते हैं, नफरत से नहीं।” यह वक्तव्य भारत की बदलती सैन्य नीति और उसके नैतिक आधार का प्रतीक है।
यह भी उल्लेखनीय है कि इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया — एक ऐसा नाम जो हर भारतीय नारी के सम्मान, उसकी मांग के सिंदूर और उस पर आए खतरे के खिलाफ देश की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह न केवल एक सैन्य कार्रवाई थी, बल्कि देश की आत्मा की पुकार थी, जो कह रही थी — अब और नहीं।
यह ऑपरेशन एक स्पष्ट संदेश है — भारत अब न तो चुप रहेगा, न सहन करेगा। आतंकवाद के खिलाफ यह निर्णायक कदम आने वाले समय में न केवल देश की सुरक्षा नीति को नया आयाम देगा, बल्कि दुनिया को यह समझाएगा कि भारत शांति चाहता है, मगर सम्मान से समझौता नहीं करेगा।
(लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार हैं)