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ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हेतु प्रदेश सरकार के बढ़ते कदम

ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हेतु प्रदेश सरकार के बढ़ते कदम
बदायूँ: 09 मई। ऊर्जा के बिना जीवों का जीवन सम्भव नहीं है, यह हमारे जीवन का आधार है। ऊर्जा किसी वस्तु में कार्य करने या बदलाव करने की क्षमता होती है। इसे कार्य करने की क्षमता के रूप में भी जाना जाता है। हर क्षेत्र में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा कई रूपों में मौजूद होती है जैसे गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा, रसायनिक ऊर्जा, उष्मा ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा आदि होते है। ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है। ऊर्जा हमें जीवित रहने और प्रगति करने के लिए जरूरी है। आज हर क्षेत्र में बिना ऊर्जा के जीवन असंभव हो गया है। उद्योग, कृषि, परिवहन व घरेलू तथा सामाजिक जीवन सहित विकास के हर स्तर पर ऊर्जा अति आवश्यक हो गयी है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश मेें विद्युत उत्पादन और मांग के अनुसार आपूति के लिए सुदृढ़ व्यवस्था की है। आज प्रदेश में गाँवों से लेकर शहरों के समस्त क्षेत्रों में अच्छे ढंग से विद्युत आपूर्ति की जा रही है। वर्ष 2024-2025 में माह दिसम्बर तक औसत आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्र में 20 घण्टे 35 मिनट, तहसील मुख्यालय में 22 घण्टे 36 मिनट तथा जनपद मुख्यालय में 24 घण्टे की जा रही है। प्रदेश में दिसम्बर 2023 तक 2,94,818 मजरों को विद्युतीकृत किया गया। प्रदेश में 2017 से अब तक 165 लाख विद्युत कनेक्शन निर्गत किये गये तथा 33/11 के. वी. के 749 नये विद्युत उपकेन्द्र स्थापित एवं 1528 विद्युत उपकेन्द्रों की क्षमता वृद्धि की गई है।
अयोध्या को सोलर सिटी और बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे को सोलर एक्सप्रेस-वे के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के 16 नगर निगमों एवं नोएडा शहर को भी सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा वर्ष 2024-2025 में दिसम्बर माह तक 7140 मेगावॉट ताप विद्युत उत्पादन क्षमता व संयुक्त उपक्रम में चलित 1980 मेगावॉट का उत्पादन क्षमता एवं 37,056 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन प्राप्त किया गया।
प्रदेश में गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने हेतु पम्प स्टोरेज जल विद्युत परियोजना की स्थापना का निर्णय लिया गया है। कोल इण्डिया लिमिटेड के साथ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा संयुक्त उपक्रम के रूप में जनपद जालौन में 500 मेगावॉट की सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना प्रस्तावित हैं। एन.टी.पी.सी. ग्रीन एनर्जी लिमिटेड तथा उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा संयुक्त उपक्रम के माध्यम से तहसील गरौठा जनपद झाँसी में 200 मेगावॉट सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना भी की जा रही है। 2’800 मे.वा. ओबरा डी तापीय परियोजना की स्थापना का निर्णय लिया गया है। कानपुर में 3’660 मेगावॉट घाटमपुर तापीय परियोजना की प्रथम इकाई पूर्ण कर ली गयी है तथा द्वितीय एवं तृतीय इकाई से क्रमशः मई, 2025 एवं अगस्त, 2025 से उत्पादन प्रारम्भ हो जायेगा।
पावर फॉर ऑल के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2017 से अब तक 24 हजार 800 करोड़ की लागत से 193 पारेषण उप केन्द्रों एवं तत्सम्बन्धी लाइनों का ऊर्जीकरण किया गया है। वर्ष 2017 तक कुल स्थापित 288 मेगावॉट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाए थी, जिसमें पिछले 8 वर्षों में 10 गुने की बढ़ोत्तरी हुई है। 1000 से अधिक आबादी वाले 9031 ग्रामों/मजरों में खुले तार के स्थान पर 51941 किमी. ए.बी. केबल लगाये गये। स्मार्ट मीटरिंग एवं विद्यत तंत्र के आधुनिकीकरण के लिए रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम लागू की गयी है। 33/11 के.वी. विद्युत उपकेन्द्रों पर 627 नग कैपेसिटर बैंक स्थापित किये गये है।
प्रदेश में निजी नलकूप कनेक्शन देने में डार्क जोन में लगे प्रतिवन्ध को हटाने से 01 लाख किसान लाभान्वित हुए है। 14 लाख से अधिक निजी नलकूप के बिजली बिलों में 100 प्रतिशत की छूट दी गयी है। ट्रान्सफार्मर खराब होने पर 24 घंटे में बदलने की व्यवस्था है। 09 हजार 926 नये वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना तथा 28 हजार 602 ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि का कार्य भी पूर्ण किया गया है। किसानों के हित में 1 लाख 88 हजार निजी नलकूपों का संयोजन किया गया है। सिंचाई सुविधा हेतु 3,99,899 निजी नलकूपों का संयोजन तथा किसानों को विद्युत आपूर्ति हेतु 2695 ग्रामीण फीडर अलग किये गये है।
प्रदेश में ’रोजगार सृजन एवं कौशल विकास हेतु वर्ष 2025-26 में 3000 सूर्यमित्रों को कौशल विकास हेतु प्रशिक्षण दिया जाएगा। अप्रैल, 2022 से दिनांक 31 दिसम्बर, 2024 तक कुल 1,87,873 निजी नलकूप संयोजन निर्गत किये गये। कृषि फीडरों के पृथक्कीकरण की योजना के अन्तर्गत 4,680 फीडर्स के लक्ष्य के सापेक्ष 3,817 कृषि फीडर्स का निर्माण कराया जा चुका है। सौर ऊर्जा नीति-2022 के तहत 22000 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। निजी पंूजी निवेश से 2653 मेगावाट क्षमता की तथा रूफटॉप सोलर पावर प्लांट की 508 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाओं की स्थापना की गयी है। झांसी, ललितपुर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, चित्रकूट और जालौन में सोलर पार्क की स्थापना तथा सौभाग्य योजना में 53,354 सोलर पावर पैक संयंत्रों की स्थापना किया गया है। कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट, बायो कोल, बायो डीजल/बायो एथेनॉल की स्थापना को प्रोत्साहन देते हुए गोरखपुर में कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट की स्थापना की गयी है। नये संयोजन हेतु घरेलू उपभोक्ताओं के लिए ‘झटपट पोर्टल‘ की व्यवस्था की गयी है। उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022 के अन्तर्गत कम्प्रेस्ड बायो गैस, बायो-कोल, बायो-डीजल/बायो-एथेनॉल से सम्बन्धित 53 परियोजनाओं की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है तथा 24 परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं।
उत्तर प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने हेतु डी0बी0एफ0ओ0ओ0 बिड प्रक्रिया के अन्तर्गत उ0प्र0 राज्य में 2’800 मेगावॉट (1600 मेगावॉट) तापीय परियोजना स्थापित करने एवं उससे 1500 मे0वा0 ऊर्जा क्रय किया जायेगा । केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा दी गयी रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य को अपनी ऊर्जा की डिमांड को पूर्ण करने हेतु वित्तीय वर्ष 2033-34 तक लगभग 10,795 मे0वा0 की तापीय ऊर्जा की अतिरिक्त आवश्यकता होगी। इसके साथ ही रिन्यूएबल परचेज ऑब्लीगेशन के दृष्टिगत 23500 मे०वा० की नवकरणीय ऊर्जा खरीद का रोड मैप भी तैयार किया गया है, जिसमें 8500 मे०वा० सौर ऊर्जा, 7500 मे०वा० पवन ऊर्जा एवं 7500 मे०वा० हाइड्रो ऊर्जा की आवश्यकता होगी, जिसके लिए सरकार द्वारा अलग से कार्यवायी की जा रही है। ऊर्जा की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने व्यवस्था कर ली है।
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