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सब अच्छे कार्य, व्यवहार का नाम ही यज्ञ है: आचार्य रुप

सब अच्छे कार्य, व्यवहार का नाम ही यज्ञ है: आचार्य रुप

बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव गुधनी में स्थित आर्य समाज मंदिर में सप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सामवेद के मंत्रों से आहुतियाँ दी गई और विश्व शांति की कामना की गई। वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने यज्ञ के पश्चात उपदेश करते हुए कहा कि सुख का मूल यज्ञ। पर यज्ञ नाम केवल हवन पूजा का नहीं है किंतु संसार भर के सब अच्छे कार्य, व्यवहारों का नाम यज्ञ है। यदि आप सत्य बोलते हैं तो वाणी से यज्ञ करते हैं, आंखों से अच्छा देखते हैं तो आप आंखों से यज्ञ करते हैं, मन में आपके बुराई का विचार नहीं आता तो मन से यज्ञ करते हैं। इसी प्रकार आपको जो ड्यूटी मिली है उसे पूरी ईमानदारी और कर्ताव्यनिष्ठा के साथ निभाते हैं तो आप यज्ञ करते हैं। तृप्ति शास्त्री, मोना, ईशा आर्य ने वेद पाठ किया। प्रश्रय आर्य ने सुंदर भजन सुनाए। आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन। मन की तरंगे मार लो बस हो गया भजन। इस मौके पर सरोज देवी, गुडडू देवी, साहब सिंह, अगरपाल सिंह, राकेश कुमार, बद्रीप्रसाद आर्य एवं आर्य संस्कारशाला के बच्चे भी मौजूद रहे।

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