पहलगाम में आतंकियों द्वारा मारे गये निर्दोष पर्यटकों को श्रद्धांजलि देने हेतु शक्ति टैन्ट हाउस पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें काव्यात्मक रूप से भारतवासियों के मन के रोष को व्यक्त किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर खालिद नदीम ने की।
इस गोष्ठी का आरंभ राजवीर सिंह तरंग ने सरस्वती वंदना पढ़कर किया। तत्पश्चात कवियों व शायरों ने पाकिस्तान को कविताओं व शायरी के माध्यम से खूब खरी खोटी सुनायी। साहित्यकारों ने पाक की इस नापाक हरकत की भरपूर भर्त्सना की। साहित्यकार अशोक खुराना ने पढ़ा-
पहलगाम के कृत्य से, खून रहा है खौल
भारतवासी एक हैं अलग-अलग मत तौल
समर बदायूनी ने पढ़ा –
‘समर’ दिल का हमारे कोई भी ख़ाना नहीं ख़ाली
हम अपने दिल के हर खाने में हिन्दुस्तान रखते हैं
षटवदन शंखधार ने पढ़ा-
पहलगाम में जो हुआ उससे सब नाराज
भेद भाव सब त्यागकर एक मंच पर आज
अहमद अमजदी ने पढ़ा-
शब्दों में किस तरह से बयाँ अपना दुख करूँ
मारा गया मुझे है मेरा नाम देखकर
कवि कामेश पाठक ने पढ़ा-
चाहे और वीरों का बलिदान क्यों न देना पड़े
देश का अखंड मानचित्र होना चाहिए
करके कुकर्म अब पाक तू न पाक रहा
पाक बनने को भी पवित्र होना चाहिए
शैलेन्द्र मिश्र देव ने पढ़ा-
हाथ में कटोरा किंतु पीठ पर वार करे
पाक की यह हरकत अति नापाक है
इनके अतिरिक्त सुरेंद्र नाज़, खालिद नदीम आदि ने काव्य पाठ किया ।गोष्ठी का संचालन कवि पवन शंखधार द्वारा किया गया।