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बढ़ती हिंसा व बुल्डोजर से न्याय के खिलाफ महिलाओं ने निकाला राजधानी में मार्च

सूबे के कोने कोने से लखनऊ पहुंची महिलाओं ने ऐपवा के आह्वान पर किया जोरदार प्रदर्शन

लखनऊ। पुलिस प्रशासन के रोकने के बावजूद महिलाओं ने निकाला मार्च व सभा की और मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा।
प्रदेश को बुल्डोजर से न्याय नहीं, संविधान से न्याय की जरूरत है। महिलाओं पर बढ़ती हिंसा के विरोध में विधानसभा मार्च। पुलिस प्रशासन द्वारा महिलाओं को रोकने की कोशिश को धता बताते हुए विधानसभा मार्च निकाला. कई बार रोकने के बावजूद महिलाएं आगे बढ़ती गई और अंततः प्रशासन के नाक के नीचे के के सी तिराहे पर सभा की. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के आह्वान पर उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ऊपर बढ़ते बलात्कार, हत्या, अपहरण और लूट की शर्मनाक घटनाओं के खिलाफ़ आज 24 अक्टूबर को लखनऊ में प्रदेश के विभिन्न जिलों से महिलाएं चारबाग रेलवे स्टेशन पर एकत्रित होकर विधान सभा मार्च के लिए आगे बढ़ीं।
आज प्रदर्शन के दौरान महिलाओं पर हिंसा नहीं सहेंगे, बुलडोजर राज पर रोक लगाओ, बहराइच में अल्पसंख्यकों पर दमन बंद करो, महंगाई पर रोक लगाओ, स्मार्ट बिजली मीटर वापस लो, जमीन से गरीबों की बेदखली बंद करो, सभी स्कीम वर्कर्स (आशा, आंगनबाड़ी, रसोइयों) को राज्यकर्मी घोषित करो, जाति जनगणना की गारंटी करो, जाति उत्पीड़न पर रोक लगाओ, विधवा और वृद्धा पेंशन की राशि बढ़ाओ, हर गरीब परिवार को 50 किलो अनाज, तेल व अन्य उपयोगी खाद्य पदार्थों की गारंटी करो, मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपए मजदूरी की गारंटी करो, केजी से पीजी तक की शिक्षा मुफ्त करो, स्वास्थ्य केंद्रों में महिला डाक्टर सुनिश्चित करो, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के सभी कर्ज माफ करो, गोंड, बियार, कोल और मुसहर जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दो,लखीपुरखीरी में किसानों- मजदूरों को उजाड़ने की साजिश बंद करो, सभी कार्यस्थलों पर महिला सेल की गारंटी करो, सम्मानजनक रोज़गार की गारंटी करो, आदि नारे लगा रही थी।
प्रदर्शन के दौरान महिलाओं को संबोधित करते हुए ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़े बताते हैं की महिला अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश शर्मनाक ढंग से पहले नंबर पर है। उत्तर प्रदेश की लगभग प्रत्येक जिले में महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, अपहरण की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और इन घटनाओं में पीड़ित महिलाओं और उनके परिवारों को न्याय नहीं मिल रहा है।
आमतौर पर पुलिस थानों में महिला हिंसा की घटनाओं में एफआईआर तक दर्ज न की जा रही है बल्कि कई घटनाओं में तो पुलिस का रवैया पीड़िता के प्रति असंवेदनशील रहता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिला सशक्तिकरण की कितनी ही बातें कर लें लेकिन महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं यह बता रही हैं की यूपी में महिलाएं सुरक्षित नहीं है। संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ यूपी में बुल्डोजर से न्याय करने के लिए जाने जा रहे हैं, ठोक दो की राजनीती में विश्वास करते हैं. लेकिन आज तक मुख्यमंत्री यौन उत्पीड़न के आरोपी यूपी से सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ लिए कोई बयान तक नहीं दे सके और न ही आईआईटी बीएचयू के बलात्कारियों को जब हाल में रिहा किया गया।
उनका स्वागत किया गया तब भी मुख्यमंत्री की खामोशी यह दर्शाती है कि सांसद, मंत्री और रसूखदार लोग अगर यौन शोषण, बलात्कार के आरोपी होंगे तो योगी सरकार का संरक्षण मिलेगा और बुल्डोजर एवं ठोक दो की राजनीति आम जनता के लिए के लिए होगी। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि योगी राज में महिलाएं अपने ऊपर हर प्रकार की हिंसा झेल रही हैं। सरकार स्मार्ट परियोजनाओं के कारण गरीब महिलाओं और उनके परिवारों को शोषण और दमन झेलना पड़ रहा है; यहां तक की पीने के साफ पानी के लिए भी महिलाओं को आज भी कई किलोमीटर दूर पैदल चलना पड़ता है।
बढ़ती महंगाई से गरीब महिलाएं प्राइवेट लोन लेने के लिए मजबूर कर दी जा रही हैं और कर्ज न चुकाने पर उनका परिवार आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहा है। महिलाओं के लिए स्थाई रोजगार देने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं हैं जिससे वह अपनी जिंदगी को सम्मानजनक तरीके से जी सके। उन्होंने कहा कि योगी सरकार की उत्तर प्रदेश में नफ़रत और बुल्डोजर की राजनीति ने आग लगा दी है। बहराइच में एक युवक की हत्या और भीड़ द्वारा आगजनी और निर्दोष महिलाओं और बच्चों का पलायन, इसका ताजा उदाहरण है। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए भाकपा माले के राज्य सचिव कां. सुधाकर यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में निर्मम हत्या व बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं।
अल्पसंख्यकों पर साजिश के तहत दमन ढाया जा रहा है. जिसको ना तो महिलाएं बर्दाश्त करेंगी और ना ही भाकपा माले पार्टी। योगी सरकार के दमन व बुलडोजर राज के खिलाफ आंदोलन तेज होगा और उपचुनाव में योगी सरकार व भाजपा को हराकर इसका बदला लिया जाएगा।
आज हुए प्रदर्शन में ऐपवा उपाध्यक्ष आरती राय, रेखा पासवान, जिला सह सचिव गीता पांडे, माला, कमला गौतम, कबूतरा देवी, जीरा भारती, नाइश हसन, लीलावती, संगीता, अंजली,राधा, सुजाता भट्टाचार्य , सुतपा गुप्ता अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा के सम्मानित राष्ट्रीय अध्यक्ष व भाकपा माले के केंद्रीय कमेटी सदस्य श्रीराम चौधरी, ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) प्रदेश अध्यक्ष कॉ. विजय विद्रोही, इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रसाद, सचिव सुनील मौर्य, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) नेता शशांक, सुकृति, अदनान, शांतम, माले नेता शशिकांत कुशवाहा, आदि प्रमुख महिला लीडर्स मौजूद रहे।
मार्च में लखनऊ,कानपुर अयोध्या, गोरखपुर , देवरिया, सीतापुर, लखीमपुरखीरी, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, गाजीपुर, बलिया,पीलीभीत, रायबरेली आदि जिलों से महिलाएं शामिल थी।

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