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सबको श्रेष्ठ बनाने के लिए आर्य समाज की स्थापना हुई: आचार्य संजीव

सबको श्रेष्ठ बनाने के लिए आर्य समाज की स्थापना हुई: आचार्य संजीव

बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव गुधनी में आर्य समाज के तत्वावधान में प्रज्ञा यज्ञ मंदिर पर आर्य समाज स्थापना दिवस, नवरात्र पर्व के अवसर पर यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने कहा नवरात्र का आरंभ चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को होता है, जो नव वर्ष का प्रथम दिन है, इसी दिन परमेश्वर ने सृष्टि की रचना की। महर्षि दयानंद सरस्वती ने इसी दिन समाज के कल्याण के लिए, मानव जाति के उद्धार के लिए, समाज से बुराइयों को मिटाने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी। यह प्राकृतिक नव वर्ष है। नए वर्ष का शुभारंभ व्रत उपवास शुभ संकल्पों से करते हुए हम अपने घर परिवार व समाज को सुंदर बनाते हैं। व्रत का अर्थ अच्छे कार्य करने का संकल्प है तथा उपवास का अर्थ ईश्वर की आज्ञा पालना है। ईश्वर की आज्ञा हमेशा शुभ कामों के लिए होती है। आचार्य संजीव रूप ने कहा नव दुर्गा का अर्थ है नौ द्वारों वाला हमारा शरीर। इसको दुर्ग बनाना जरूरी है, दुर्गा बनाने के लिए आयुर्वेद की नौ दवाइयां हमारा कल्याण कर सकती हैं। शैलपुत्री हरण को कहते हैं जो पांच प्रकार के होते हैं यह अत्यंत कल्याणकारी होती है। यहां तृप्ति आर्य, ईशा आर्य, कौशकी कुमारी, मोना ने भजन गाए। इस मौके पर सुखबीर सिंह, संतोष कुमारी, गुड्डूदेवी, बद्री प्रसाद आर्य, अगरपाल सिंह, साहब सिंह, राकेश आर्य आदि मौजूद रहे।

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